ADARSH PANDEY

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लेखनी कहानी -14-May-2022

पेट ख़ातिर गाँव से शहर जाना पड़ता है ।
दर्द को भी हसकर छुपाना पड़ता है ।।

छुपा लेता हूँ  सारे दर्द परिवार के संघ
तब जाके के वो खुश रहते है दुसरो संघ

जीवन के आधे सफर तक सबसे दूर रहता हूँ
तब जाके गाँव मे खुशियो का तेव्हार होता है।।


#writeradarshpandey_ki_shayri #writeradarshpandey

लेखक् आदर्श पाण्डेय

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9 Comments

Haaya meer

15-May-2022 11:36 PM

Very nice

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Sachin dev

15-May-2022 11:10 PM

Nice

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Gunjan Kamal

14-May-2022 11:23 PM

शानदार प्रस्तुति 👌👌

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